नरक आहुति जब हम रिश्तों को तोड़ते हैं तब उन रिश्तों की टूटन हमें भी तोड़ देती है! अपने पिता की लाश पर फूट फूट के रोया मेरा दिल"! उलझे हुए रिश्तों और भावनाओं के ताने बानों में बुनी एक अद्भुत कथा, जिसमें एक पिता अपने मासूम पुत्र को ही अपने स्वार्थ की बलि चढ़ा रहा है! एक पुत्री अपने ही पिता का सीना गोलियों से छलनी कर देती है और एक पिता अपनी पुत्री की खातिर अपनी सारी शक्तियों की आहुति दे डालता है! जानने के लिए पढ़ें रोमांच और भावनाओं से ओतप्रोत नरक नाशक नागराज की उत्पत्ति श्रंखला का यह अंतिम भाग!
Labels: Raj Comics 1st set 2015