Mysterious Sant Stooped Sucide रहस्यमय साधू ने रोकी आत्महत्या

Mysterious Sant Stooped Sucide रहस्यमय साधू ने रोकी आत्महत्या

रहस्यमय साधू ने रोकी आत्महत्या
घटना सन् 1917 में चल रहे प्रथम विश्वयुद्ध के दोरान की है । घटना   बाली रात इटालियन जनरल स्टाफ के चीफ, जनरल लूनी कर्द्धरिना, दुश्मनों द्वारा अपनी सेना की हार पर विचार कर रहा था । वह अपने तंबू में बैठा वहुत ही दुखी और अवसाद से भरा था । अपनी निराशा और अवसाद के क्षणों में उसे न जाने कहाँ से ये ख्याल आया कि उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए ।

                   रहस्यमय आग का गोला

  इस ख्याल के आते ही अवसादग्रस्त जनरल ने अपनी भरी हुई पिस्तौल अपनी कनपटी पर रख दी । अभी वह पिस्तौल का धोड़ा खींचने ही वाला था कि न जाने कहाँ से एक Mysterious Sant Stooped Sucide रहस्यमय साधू ने रोकी आत्महत्या साधु उसके तंबू में प्रकट हुआ । "इतने मूर्ख मत वनो," उस साधु ने कहा । फिर वह जिस तरह से आया था, ठीक उसी तरह से गायब भी हो गया । खैर, उस रात जनरल ने खुद को गोली नहीं मारी । घटना के कुछसाल बाद जनरल, फौणिया, इटली स्थित चर्च आँफ सेन जिगोवम्नी रोटोंडो घूमने के लिए गए है वहां एक साबु को देखकर जनरल स्तब्ध रह गए । यह वही साधु था, जिसने उस रात (जव जनरल आत्महत्या करने वाले थे), Mysterious Sant Stooped Sucide रहस्यमय साधू ने रोकी आत्महत्या जनरल से

                       अंसुल्झे रहस्य

उसके तंबू में मुलाकात की थी । उनका नाम पाद्रे पिओ था । जनरल पर नजर पड़ने पर पाद्वे पिओ उनके पास आए और उन्होंने उससे कहा, "मेरे दोस्त । नसीब वाले हो कि बच गए ।"आश्चर्यचकित करने वाली रहस्यमय बात तो या थी कि जनरल ने उन्हें 1917 मे अपने तंवू में देखा था, परंतु यह भी उतना ही सच था कि पाद्वे पिओ ने पूरे युद्धकाल में उपासना गृह से बाहर कदम नहीं रखा था । यह किस तरह से संभव हुआ कि उपासना गृह में मोजूद पाद्रे पिओ उस रात जनरल के तंवू में भी थे? यह मानव मस्तिष्क के न समझ में आने वाली रहस्यमयी घटना है, जिसका कोई जवाब या स्पष्टीकरण फिलहाल किसी के भी पास नहीं है ।
     द पियसर्ड प्रीस्ट, जिम गेलाधिर
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