Start up or down स्टार्टअप या डाउन

Start up or down स्टार्टअप या डाउन

कैप्शन Start up or down स्टार्टअप या डाउन 

स्टार्ट-अप ने हमारे पहनावे और यात्रा करने के तरीके बदल दिए हैं और अब तो नोकरी परिद्रश्य को भी प्रभावित करना शुरू करदिया है । अब छात्र अपनी कंपनी शुरू करना चाहते हैं या स्टार्ट - अप मव काम करना चाहते हैं........ 



मेघा अग्रवाल


Start up or down स्टार्टअप या डाउन ______________________________________

आर्थिक इतिहास(Economic History) ऐसी कंपनियों के किस्सों से भरा पड़ा है जो वजूद में आई, बनी रहीं या बंद हो गई लेकिन स्टार्ट-अप ने भारतीयों का ध्यान जैसे अब आकर्षित किया वैसा कभी नहीं किया था । वर्ष 2020 तक प्रस्तावित 11,500 स्टार्ट-अप्स और उनमें अरबों डॉलर के निवेश से लेकर प्रधानमंत्री के स्टार्ट-अप इंडिया एक्शन प्लान तक(Start up or down स्टार्टअप या डाउन ) स्टार्ट-अप संस्कृति हर जगह दिखने लगी है, सर्वव्यापी हो गई है । इसके परिणाम देश भर के शैक्षिक संस्थानों(Schools and Colleges) के कैंपसों में नजर आते हैं, जहाँ छात्र अपना उद्यम लगाने पर काम कर रहे हैं या स्टार्ट-अप कंपनियां अच्छे वेतन और अच्छे जॉब प्रोफाइल के साथ आकर्षित कर रही हैं । टाइम्स आँफ इंडिया के लिए मार्केटिंग एजेंसी आईंपीएसओंएस द्वारा किए राष्ट्रव्यापी सर्वे से पता चला कि 45 प्रतिशत युवा भारतीय खुद क्रो उद्यमी के रूप में देखना पसंद करते हैं । अगले पांच वर्षों में अपनी स्टार्ट-अप कंपनी शुरू वरना चाहते हैं । 54 प्रतिशत युबा बड़े कॉरपोरेशन के वजाय स्टार्टच्चीअप मैं काम करना पसंद करते हैं ।



क्या है स्टार्ट-अप?

Start Up marketing


वर्तमान सन्दर्भ में स्टार्ट-अप की परिभाषा के अनुसार, ये ऐसे नए व्यसाय है जो वेंचर कैपिटल और संस्थागत फंड से चलाए जाते है और इनका मकसद तात्कालिक लाभ अर्जित करने के बजाय व्यवसाय की नींव मजबूत करना होता है । 
Hola App Start Up
ओला, क्तिपकार्ट, जैसे नाम जिन्हें अभी लाभ कमाना शुरू करना है, को गिनती अग्रणी स्टार्टअप के कौर पर की जाती है क्योंकि इन्होंने खुद को और अपने महत्व को मजबूती से स्थापित किया है । लेकिन अब अधिक से अधिक स्टार्ट-अप प्रतिष्ठित नाम बनते जा रहे हैं तो स्टार्ट-अप और जमे-जमाए नाम का अंतर मिटता जा रहा है । इस बात को लेकर विशषज्ञों में मतभेद है कि किसी वेंचर को कब स्टार्ट-अप कहना पसंद किया जाए।



स्टार्ट-अप की शुरुआत




अजीत खुराना
ऐसे सवालों के बावजूद नए       उद्यम  की संस्कृति बढ़ती जा     रही है ।स्टार्ट-अप विशेषज्ञ अजीत खुराना का कहना है, ' लगभग हर कैंपस में प्लेसमेंट देने वाली स्टार्ट-अप चीपनियों की संख्या बढी है । वर्ष 2013 तक इनकी संख्या में वृद्धि तो हो रही थी लेकिन 2013-44 में तो यह वृद्धि कल्पनातीत थी । फिलहाल इसमें ठहराव आ गया है, लोग गोड़े सतर्क हो गए है । लेकिन यह सुधार वाला दौर है, उफान के बाद वाला ठहराव । छात्र अकसर ही स्टार्टअप के साथ कॅरियर शुरू करने को लेकर आशंकित रहते है । खुराना मानते हैं कि स्टार्टअप में काम करना जुआ खेलने जैसा है । 5 से 10 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप (Start up or down स्टार्टअप या डाउन )अच्छा काम नहीं कर पाते । आपने जिस स्टार्ट-अप में काम शुरू किया है वह ठीक-ठाक काम कर रहा है तो ठीक लेकिन इस बात की भी संभावना है कि यह डूब सकता है । आप बेरोजगार हो सकते हैं । कई बार तो आपके जॉब करना शुरू करने से पहले ही यह बंद हो सकता है । '
कैरीयर Career

स्टार्ट-अप से जुडी हलचल


ऐसी चिंताओं के बावजूद स्टार्ट-अप के क्षेत्र में चहल-पहल रहती हैं । संस्थापकों, फंडिंग और बिजनेस आइडिया से जुडी मीडिया कवरेज से इसे और बल मिलता है । 
Aditi Sheshadri
    भारत के सबसे पुराने सोशल उद्यम इनक्यूबेटरों में से एक विलग्रो को मार्केटिंग व कम्युनिकेशन हैड अदिति शेषाद्रि का मानना है कि स्टार्ट अप कल्चर में एक ऐसा आकर्षण है जो युवा महिला पुरुषों को आकर्षित करता है । ठीक है कि बहुत से युवा स्थापित कंपनी में काम करना पसंद करते हैं । लेकिन स्टार्ट-अप भी नई उम्मीदों और अपेक्षाओं वाले युवाओं को भा रहे है । 

        वत्सल गोयल ने 'अच्छे-खासे वेतन वाली नौकरी छोड़कर माता-पिता की जरूरतों पर केंद्रित आनलाइन स्टार्टअप नर्चरी में काम tकरना शुरू किया था । वे अपना अनुभव बताते हैं, " हमारा कोई दफ्तर नहीं है, स्टाफ में भी बहुत कम लोग हैं, लेकिन मुझे यह काम पसंद है और इसके संस्थापक पर मुझे बहुत भरोसा है । वे युवा हैं और उनके पास एक विजन है जो मुझे बहुत भाता है । असल में मैं उनके साथ काम करने वाले शुरुआती कर्मचारियों में से एक हूं । भारत में कंपनी ऑपरेशन भी मैने ही शुरू किए । यह वहुत अच्छा अनुभव रहा जो मुझे कहीं और नहीं मिला । इससे मुझे जॉब संतुष्टि भी खूब मिलती है । हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह अनुभव आगे बहुत काम आएगा ।'

वत्सल गोयल के शब्द संभवत: हर उस युवा को मानसिकता को परिलक्षित करते है जो स्टार्टअप कल्चर की और आकर्षित है । कुछ तो अनुभव लेकर बेहतर नौकरी की उम्मीद कर रहे है तो अन्य यहां के अनुभव लेकर अपना उद्यम शुरू करना चाह रहे हैं । 

           
Ankur Gulati
आईआईटी रूड़की और आईआईएम रांची से पढे अंकुर गुलाटी का कहना है, ' 2०1 3 में हायर एजुकेशन पूरी करने के बाद मैंने बिजनेस प्रक्रिया और अनुभव हासिल करने के लिए कई स्टार्ट-अप में काम किया । इस अनुभव से अपना स्टार्टअप वेलफी शुरू करने में मदद मिली ।


शुरुआत 

औद्योगिक संस्था नासकॉम की 2015 को एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत स्टार्ट-अप का केंद्र बन गया है और विश्व स्तर पर यह तीसरे नंबर पर है । हर साल 4, 000 नए व्यवसाय शुरू होते है । जहाँ कुछ स्टार्ट-अप अनुभवी प्रोफेशनलों द्वारा शुरू किए जाते हैं, वहीं बहुत से स्टार्टअप कैंपसों में अनुभवी इनक्यूबेटरों के मार्गदर्शन में जन्म लेते है । छात्रों के संभावना से भरपूर उद्यमों क्रो प्रोत्साहित करने वाला स्टार्टअप विलेज ऐसा ही वेंचर है । आईआईटी बम्बे, आई आई एम अहमदाबाद, बिट्स पिलानी और इंडियन स्कूल आँफ बिजनेस जैसे संस्थानों के अपने आँन कैंपस इनक्यूबेटर हैं।

इनक्यूबेटर और एक्सेलेटर स्टार्ट अप ईको सिस्टम को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर उन छात्रों को जो अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं । शेषाद्रि का कहना है कि ऐसी मदद मिलना भी छात्रों के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा का काम करती है, इससे उनका आत्मविश्वास बढता है परिवारों अपने विचारों के प्रति आश्वस्त करने में मदद मिलती है । लेकिन एक कम्पनी को वजूद में लाना खासा कठिन काम है तो उसे पोषित कर आगे बढाना और कठिन । कपनी के लिए पैसा जुटाना और उसका समुचित उपयोग सुनिश्चित करना, योजना बनाना, उसका क्रियान्वयन करना और बिजनेस को आगे बढाना जैसी ढेरों चुनौतियां हैं, जिन पर काम करना होता है । शेषाद्रि बताती हैं, 'विलग्रो में हम संस्थापकों में खास दिलचस्पी लेते हैं क्योंकि यदि संस्थापक में डटे रहने का माद्दा, धैर्य और व्यवसाय को संभालने की परिपक्वता नहीं है तो कोई आइडिया कितना ही अच्छा क्यों न हो, स्टार्ट-अप नाकाम भी रह सकता है।

      अपनी कम्पनी शुरू करना आकर्षक विचार हो सकता है, लेकिन कडी मेहनत करने ही इच्छाशक्ति, दृढता और चुनौतियों से निबटने के लिए "मैं यह कर सकता हूं' के जज्बे की भी जरूरत होती है । भले ही आप खुद बॉस हो, लेकिन आपको कोई छुट्टी नहीं मिलती । आपको निवेशकों और अपने उत्पाद के ग्राहकों को जवाब
देना होता है । इसमें सफल होने के लिए जुनून और व्यवहारिकता की जरूरत होती है । आपका अपने बिचार से जुडे सभी पहलुओं पर गहराई से गौर करना जरूरी होता है और उस पर पूरी तरह भरोसा होना उससे भी कहीँ अधिक जरूरी होता है ।

Labels: